टॉन्सिल होने का कारण और उसका घरेलू उपचारः (Home Remedies for Tonsils in hindi )
Tonsils एक प्रकार का गले का रोग होता है जिसमें गले के पीछे की ग्लैंड्स (तोंसिल्स) सूज जाती हैं। यह रोग आमतौर पर बच्चों और युवाओं में पाया जाता है। टॉन्सिल के सूजन के कारण गले में दर्द, खराश, गला बैठना, बुखार और पेट की खराबी जैसे लक्षण हो सकते हैं। इस लेख में हम टान्सिल के बारे में विस्तृत रुप से जानेंगे।
टॉन्सिल क्या है? (What is Tonsils in Hindi?)
Tonsils एक छोटा ग्रंथि है जो मुख्य रूप से मुखाध्य के भीतर और गले के सिर में स्थित होता है। यह लिम्फ टिश्यू से बना होता है और बच्चों और युवाओं में सबसे अधिक पाया जाता है। टॉन्सिल का मुख्य काम शरीर को संक्रमण से बचाना है, विशेष रूप से जब बच्चा या व्यक्ति छोटा होता है और उनका प्रतिरक्षा प्रणाली पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता है।
Tonsils का मुख्य काम बच्चों और युवाओं को बचाव करने के लिए संक्रमण से लड़ना है। यह शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा होता है, जो बाहरी संक्रमणों से लड़ने और इन्हें नष्ट करने में मदद करता है। टॉन्सिल का अन्य एक काम यह भी होता है कि वह शरीर के बुद्धिमत्ता को शिक्षित करता है कि कौन से भविष्य के संक्रमणों को शरीर को पहचानने और उनसे लड़ने के लिए शिक्षित करना चाहिए।
Tonsils के एक अत्यधिक आकार का होना या उनके संक्रमण के कारण, टॉन्सिलेक्टोमी नामक एक कार्य हो सकता है, जिसमें डॉक्टर टॉन्सिल को हटा देते हैं। यह प्रक्रिया अक्सर बच्चों के लिए की जाती है जो अत्यधिक टॉन्सिल संक्रमण से पीड़ित होते हैं।
टॉन्सिल के प्रकार (Types of Tonsils)
- एक्यूट टॉन्सिलाइटिस (Acute Tonsillitis): यह टॉन्सिलाइटिस का सबसे सामान्य प्रकार है, जो बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के कारण होता है।
- क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस (Chronic Tonsillitis): यह टॉन्सिल्स की लम्बे समय तक सूजन के साथ होती है और अक्सर बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होती है।
- इंग्रोन टॉन्सिल्स (Ingrown Tonsils): यह टॉन्सिल्स गले के अंदर डूबे होते हैं और सामान्य टॉन्सिल्स की तुलना में अधिक दर्दनाक होते हैं।
टॉन्सिल के लक्षण – Tonsil Ke Lakshan in Hindi
टॉन्सिल के निम्न लक्षण शामिल होते हैं:
- गले में दर्द या तकलीफ: Tonsils के संक्रमण के समय, गले में दर्द या तकलीफ का अनुभव हो सकता है। यह दर्द आमतौर पर गले के ऊपरी हिस्से में महसूस होता है और गाले को निचे करने पर और भी बढ़ सकता है।
- सामान्य थकान या अस्वस्थता की अनुभूति: टॉन्सिल के संक्रमण के कारण, शरीर में सामान्य थकान या अस्वस्थता की अनुभूति हो सकती है। यह लक्षण विशेष रूप से बच्चों में देखा जाता है।
- गले का लाल और सूजन: टॉन्सिल के संक्रमण के समय, गले के एक या दोनों प्रान्तों में लालिमा और सूजन हो सकती है। यह लक्षण संक्रमित टॉन्सिल के अंतर्दृष्टिगत संकेत हो सकते हैं।
- खांसी और जुकाम: टॉन्सिल के संक्रमण के कारण, खांसी और जुकाम का अनुभव हो सकता है। यह लक्षण खासकर ठंड और मौसमी बदलावों के दौरान ज़्यादा देखा जाता है।
- पेट में दर्द या अनियमितता: कई बार, टॉन्सिल के संक्रमण के समय, खाने में समस्या या अनियमितता हो सकती है, जिससे पेट में दर्द या अनियमितता का अनुभव हो सकता है। यह लक्षण विशेष रूप से उन लोगों में देखा जा सकता है जो बच्चों में टॉन्सिल संक्रमण के लक्षणों को नजरअंदाज़ करते हैं।
टॉन्सिल होने के कारण (Tonsils Causes in Hindi)
- वायरस या बैक्टीरियल संक्रमण: Tonsils के सूजन का मुख्य कारण वायरस या बैक्टीरिया हो सकता है, जो गले के पीछे की ग्लैंड्स को संक्रमित कर देता है।
- कमजोर इम्यून सिस्टम: अगर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है, तो आप बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के खिलाफ अधिक संवेदनशील हो सकते हैं, जिससे टॉन्सिल्स हो सकते हैं।
- अधिक ठंड या गरमी: अधिक ठंड या गरमी के मौसम में, खासकर बच्चों में, टॉन्सिल्स होने की संभावना अधिक होती है।
- खाने में अस्वस्थ आहार: अस्वस्थ और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने से आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे आपको संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और टॉन्सिल्स हो सकते हैं।
टॉन्सिल की जांच — Test of Tonsil in Hindi
डॉक्टर आपके लक्षणों का मूल्यांकन करने के बाद एक शारीरिक परीक्षण करेंगे। यह शामिल कर सकता है:
- गले की जाँच: यह जाँच डॉक्टर द्वारा टॉन्सिल्स की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए की जाती है। डॉक्टर गले के अंदर और बाहर से जाँच करते हैं ताकि वे सूजन या इंफेक्शन की उपस्थिति को निर्धारित कर सकें।
- स्वाभाविक तापमान का मापन: बुखार के लक्षण को देखने के लिए तापमान का मापन किया जाता है। Tonsils के संक्रमण के कारण अक्सर बुखार होता है।
- रक्त परीक्षण: इसके माध्यम से डॉक्टर संक्रमण की उपस्थिति की पुष्टि करते हैं। रक्त परीक्षण में रक्त का नमूना लिया जाता है और लैब टेस्टिंग के माध्यम से संक्रमण के कारणों का पता लगाया जाता है।
- इमेजिंग टेस्ट: कभी-कभी, इमेजिंग टेस्ट जैसे X-रे या सोनोग्राफी की जाती है ताकि टॉन्सिल्स की आकार और स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके।
टॉन्सिल के लिए टॉन्सिल्लेक्टोमी सर्जरी — Tonsillectomy For Tonsil in Hindi
टॉन्सिल्लेक्टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें टॉन्सिल्स को निकाल दिया जाता है। यह प्रक्रिया अक्सर टॉन्सिल्स के बार-बार संक्रमण या गले में स्थायी सूजन के लिए अनुशंसित की जाती है। यह सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही की जाती है जब अन्य उपचार असफल हो गए हों।
टॉन्सिल्लेक्टोमी प्रक्रिया के दौरान, व्यक्ति को सामान्य अनेस्थेटिक दिया जाता है ताकि वह सोया रह सके। फिर चिकित्सक टॉन्सिल्स को एक विशेष चाकू या लेजर की मदद से हटा देते हैं।
टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद, व्यक्ति को आमतौर पर कुछ दिनों तक आराम करने की आवश्यकता होती है। उन्हें सामान्य अनुशासन का पालन करना चाहिए, और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाओं का सेवन करना चाहिए।
टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद कुछ संभावित संघर्ष शामिल हो सकते हैं, जैसे कि गले में दर्द, गले की सूजन, बुखार, या गले में खराश। अगर ये संघर्ष गंभीर होते हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करना उचित है।
टॉन्सिल्लेक्टोमी एक साधारण और सुरक्षित प्रक्रिया है, लेकिन इसकी संभावित दिक्कतों और संघर्षों के बारे में व्यक्तिगत चिकित्सक से चर्चा करना उचित है।
Tonsils का इलाज करने के लिए 6 घरेलू उपाय (6 Home Remedies for Tonsillitis Treatment in Hindi)
टॉन्सिल के इलाज के लिए ये कुछ 06 घरेलू उपाय हैं:
- गरम पानी और नमक का गरारा: गरम पानी में नमक मिलाकर गरारा करने से गले की सूजन में राहत मिलती है।
- अदरक का रस या शहद: अदरक का रस और शहद मिलाकर पीने से गले की सूजन में आराम मिलता है।
- अजवाइन का पानी: अजवाइन को पानी में उबालकर उस पानी को पीने से गले की सूजन कम होती है।
- गरम दूध में हल्दी: एक गिलास गरम दूध में एक छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से गले के दर्द में राहत मिलती है और सूजन भी कम होती है।
- मुलेठी का काढ़ा: मुलेठी के पाउडर को पानी में मिलाकर उसे गरम करें और उससे बनाया गया काढ़ा पीने से टॉन्सिल की समस्या में लाभ मिलता है।
- खाने में ताजा आम: ताजा आम में विटामिन सी होता है, जो टॉन्सिल के इलाज में मदद कर सकता है।
कुंजल क्रिया से टॉन्सिल का इलाज (Kunjal Kriya: Ayurvedic treatment for Tonsils in Hindi)
कुंजल क्रिया एक प्राचीन आयुर्वेदिक तकनीक है और इसे गले के रोगों के इलाज में उपयोगी माना जाता है, जिसमें Tonsils भी शामिल है। यह तकनीक गले की सूजन और संक्रमण को कम करने की क्षमता रखता है। यह गले के कीटाणुओं को निकालने और सूजन को कम करने में मदद करती है, जिससे टॉन्सिल्स के संक्रमण में आराम मिलता है।
कुंजल क्रिया को करने के लिए निम्नांकित चरणों से गुजरना पड़ता हैः
चरण | विवरण |
---|---|
तैयारी | 6 से 8 गिलास गुनगुने पानी की आवश्यकता होती है। हर एक लीटर पानी में एक चम्मच सेंधा नमक मिलाया जाना चाहिए। |
आसन | व्यक्ति को कगासन की मुद्रा में बैठना होता है। |
पानी पीना | व्यक्ति को यह पानी जल्दी से जल्दी पीना होता है। |
उल्टी | पानी पीने के बाद, व्यक्ति को थोड़ा आगे झुक कर खड़ा होना होता है और मुह में अंगुली डाल कर उल्टी करने का प्रयास करना होता है।, जिससे उल्टी होती है। |
शवासन | जब व्यक्ति को लगे कि उल्टी पूरी हो चुकी है, तब उसे शवासन की मुद्रा में 30 मिनट के लिए लेट जाना होता है, ताकि आराम मिल सके। |
कुंजल क्रिया को करने से पहले योग विषेसज्ञ की सलाह लेना उचित है, खासकर अगर आपके पास यह क्रिया करने की अनुभव नहीं है। इसके साथ ही सावधानी बरतना चाहिए कि बर्तन और पानी साफ़ और स्वच्छ हों, ताकि किसी भी प्रकार का संक्रमण न हो।
योग से टॉन्सिल का उपचार (Yoga Helps in Tonsillitis Treatment)
योग वास्तव में एक प्राचीन तकनीक है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है। टॉन्सिलाइटिस जैसी स्थिति में योग कुछ विशेष आसन और प्राणायाम के माध्यम से लाभदायक हो सकता है।
- भ्रामरी प्राणायाम: इस प्राणायाम में, नासिका से सांस अंदर लेते हुए अपनी स्वस्थ ध्वनि को किसी मेधावी भ्रामर की तरह करते हैं। यह ध्वनि शांति प्रदान करती है और मानसिक स्थिति को सुधारती है, जिससे टॉन्सिल के लिए लाभ हो सकता है।
- उत्तानासन: यह आसन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और श्वास नली को खोलता है। इससे श्वासनली की संचारशीलता बढ़ती है जो टॉन्सिलाइटिस के इलाज में मदद कर सकती है।
- कपालभाति प्राणायाम: इस प्राणायाम के द्वारा, प्राण शक्ति को अंतर्दृष्टि से नियंत्रित किया जाता है। यह श्वासनली के रक्त संचार को बढ़ाता है और इस प्रकार टॉन्सिल के लिए उपचार करने में सहायक हो सकता है।
- जलनेति: यह एक पुराना भारतीय प्रथा है जिसमें नासिका को गर्म पानी या नमकीन पानी से धोते हैं। यह श्वासनली को साफ करता है और टॉन्सिल के संक्रमण को कम करने में मदद कर सकता है।
योग एक संपूर्ण चिकित्सा उपचार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, लेकिन यह टॉन्सिलाइटिस जैसे स्थितियों के इलाज में अत्यंत उपयोगी हो सकता है।
टॉन्सिल्स से बचाव के लिए आपका खान-पान (Avoid These Foods in Tonsillitis)
टॉन्सिलाइटिस के समय, खान-पान का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। निम्नलिखित आहार का सेवन करने से बचें:
- ठंडे पदार्थ: ठंडे पानी, बर्फ युक्त खाद्य पदार्थ और अधिक ठंडे द्रव्यों का सेवन न करें। इससे आपके गले में और ज्यादा दर्द हो सकता है।
- तला हुआ खाना: तला हुआ खाना, जैसे कि फ्राइड फूड, समोसे, पकोड़े आदि, से बचें। इस प्रकार का खाना गले में और ज्यादा इर्रिटेशन पैदा कर सकता है।
- खट्टा या मसालेदार खाद्य पदार्थ: टॉन्सिलाइटिस के समय, खट्टा और मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। इससे गले में जलन और खराश बढ़ सकती है।
- धूम्रपान और अल्कोहल: धूम्रपान और अल्कोहल से दूर रहें। इनका सेवन करने से गले की स्थिति और टॉन्सिलाइटिस में सुधार होने में कठिनाई हो सकती है।
टॉन्सिल्स में क्या करें और क्या ना करें (Tonsillitis me kya kre aur kya nhi kre)
करना चाहिए | नहीं करना चाहिए |
---|---|
अधिक पानी पीना | ठंडा पानी पीना |
गरम लिक्विड्स पीना | अधिक मीठे या चिकना खाना |
विश्राम करना | ठंडे ड्रिंक्स पीना |
हल्का और स्वस्थ खाना खाना | तले हुए या तेज खाना खाना |
गर्म उपयोग करना | ठंडा खाना खाना |
गर्म अंगारे के साथ गर्म धूम्रपान करना | धूम्रपान करना |
अपने डॉक्टर की सलाह लेना | बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा लेना |
टॉन्सिल्स से संबंधित आपके सवाल-जवाब (FAQ Related to Tonsillitis in Hindi)
क्या Tonsils को घर पर हल किया जा सकता है?
हां, कुछ घरेलू उपायों का प्रयोग करके Tonsils को घर पर हल किया जा सकता है।
क्या Tonsils की सर्जरी से उपचार संभव है?
हां, टॉन्सिल्लेक्टोमी नामक सर्जरी के माध्यम से Tonsils का इलाज संभव है।
क्या Tonsils के लिए योग से उपचार संभव है?
हां, कुछ योगासन और प्राणायाम टॉन्सिल्स के उपचार में मददगार हो सकते हैं।
क्या टॉन्सिल्स के लिए खास आहार होता है?
हां, टॉन्सिल्स के इलाज में प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना लाभकारी हो सकता है।
क्या टॉन्सिल्स से बचाव के लिए कुछ आसान उपाय हैं?
हां, साफ सफाई और सही आहार लेना टॉन्सिल्स से बचाव में मदद कर सकता है।
टॉन्सिल्स एक सामान्य समस्या है जो की ठीक हो सकती है। यदि आपके लक्षणों में सुधार नहीं होता है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।