Bawaseer ka Ilaj

पाइल्स या बवासीर क्या है? ( Piles & Bawaseer ? in hindi) कैसे इसे ठिक करें।


पाइल्स या bawaseer एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा की नसें सूज जाती हैं। यह एक बहुत ही सामान्य समस्या है जो आमतौर पर व्यक्ति की बदलती जीवनशैली और खानपान की वजह से होती है। यह समस्या बहुत ही पीड़ादायक होती है और इसका ilaj सही समय पर न किया जाए तो यह और भी बढ़ सकती है। लेकिन, सही जानकारी और उपचार के साथ, इस समस्या ka सफल इलाज संभव है।

bawaseer किन कारणों से होता है?

  • अधिक बैठना: लंबे समय तक बैठकर काम करना या बैठे रहना बवासीर का मुख्य कारण हो सकता है।
  • अधिक समय तक खड़े रहना: अधिक समय तक खड़े रहकर काम करने से भी बवासीर हो सकता है।
  • भारी भोजन: अत्यधिक मात्रा में तला हुआ, मसालेदार और तीक्ष्ण खाना खाने से भी बवासीर हो सकता है।
  • कब्ज: कब्ज भी बवासीर का मुख्य कारण हो सकता है क्योंकि इससे दबाव बढ़ता है।
  • प्रेगनेंसी: गर्भावस्था में भी हार्मोनल परिवर्तनों और बढ़ी हुई शारीरिक दबाव के कारण बवासीर हो सकता है।
  • ज्यादा वजन: अत्यधिक वजन लेने से भी बवासीर की संभावना बढ़ जाती है।
  • गुदा संबंधित समस्याएं या इंजरी: गुदा संबंधित समस्याएं और घाव या चोट से भी बवासीर हो सकता है।
  • थकान: लंबी चलने या भारी काम करने से थकान भी बवासीर का कारण बन सकती है।

bawaseer के प्रकार (Piles (Hemorrhoids) Types)

बवासीर के विभिन्न प्रकारों को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लोगों को अलग-अलग प्रकार के लक्षणों के साथ प्रभावित कर सकते हैं। bawaseer के प्रमुख प्रकार खुनी bawaseer और वादी bawaseer होते हैं, और इन दोनों के होने के पीछे विभिन्न कारण होते हैं।

  • खुनी बवासीर: खुनी बवासीर एक प्रकार की बवासीर होती है जिसमें रक्तस्राव का संकेत होता है। यह हो सकता है कि आपके मल के साथ रक्त के थक्के नजर आएं या आपकी मलद्वार के आस-पास की त्वचा पर रक्त के थक्के दिखाई दे सकते हैं। खुनी बवासीर का मुख्य कारण जीवाणुओं का आक्रमण, व्यायाम की कमी, अपच, या पेट के अंदर के दबाव का बढ़ जाना हो सकता है।
  • वादी बवासीर: वादी बवासीर एक और प्रकार की बवासीर है जो अधिक असहनीय दर्द के साथ जुड़ी होती है। इसमें गुदा के बाहरी हिस्से में सूजन और दर्द का अनुभव होता है। वादी बवासीर के मुख्य कारण गुदा के अंदरी नसों की सूजन या तनाव का बढ़ना हो सकता है, जो अधिक दबाव और दर्द का कारण बनता है। यह बवासीर के बाहरी हिस्से को छूने पर अधिक असहनीयता और चिकनापन के साथ जुड़ा होता है।

bawaseer के लक्षण (Symptoms of piles)

bawaseer के लक्षणों को पहचानना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे संबंधित समस्याएं व्यक्ति को असहजता और दर्द का सामना करवा सकती हैं। निम्नलिखित लक्षण बवासीर की उपस्थिति की सूचक हो सकते हैं:

  • खून आना: बवासीर के प्रमुख लक्षण में से एक है खून का आना। यह खून आपके मल के साथ मिला हो सकता है या फिर आपके मल में से अलग रूप से भी दिख सकता है।
  • खुजली: बवासीर के रूप में खुजली का अनुभव हो सकता है, जो गुदा क्षेत्र में असहनीय हो सकता है। यह खुजली आमतौर पर ज्यादातर बाहरी बवासीर के साथ होती है।
  • पेचिश: बवासीर के उपस्थिति में, गुदा क्षेत्र में तनाव और दर्द का अनुभव हो सकता है। यह पेचिश आमतौर पर सीधा बाहरी बवासीर के साथ जुड़ा होता है।
  • गुदा की चिकनाहट: बवासीर के कुछ प्रकारों में, गुदा क्षेत्र की चिकनाहट या सूजन का अनुभव हो सकता है। यह सूजन आमतौर पर बाहरी बवासीर के साथ जुड़ा होता है।
  • मलद्वार के आसपास दर्द या सूजन: बवासीर के साथ, मलद्वार के आसपास दर्द या सूजन का अनुभव हो सकता है, जो कभी-कभी बहुत तेज हो सकता है। यह लक्षण आंतरिक बवासीर के साथ ज्यादातर जुड़ा होता है।

bawaseer के दुष्प्रभाव

बवासीर के दुष्प्रभाव व्यक्ति के दिनचर्या और जीवनशैली को प्रभावित कर सकते हैं। इस स्थिति के कुछ मुख्य दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  • दर्द और असहनीयता: बवासीर के प्रकार और गंभीरता के आधार पर, व्यक्ति को गुदा क्षेत्र में तेज दर्द और असहनीयता का सामना करना पड़ सकता है। यह दर्द प्रतिदिन की गतिविधियों में बाधा डाल सकता है और व्यक्ति को अस्वाभाविक महसूस करा सकता है।
  • रक्तस्राव: खुनी बवासीर की स्थिति में, व्यक्ति को मल के साथ रक्त के स्राव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें अस्वीकृति और अस्वाभाविकता की अनुभूति हो सकती है।
  • सामाजिक और इंटरपर्सनल प्रभाव: बवासीर के दुष्प्रभावों में शामिल हो सकता है सामाजिक और इंटरपर्सनल प्रभाव। यह स्थिति व्यक्ति के सामाजिक और पारिवारिक जीवन को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि वह दर्द और असहनीयता के कारण समाजिक गतिविधियों में भाग लेने में असमर्थ हो सकता है।
  • रोग प्रसार: यदि बवासीर का समय पर उपचार न किया जाए, तो यह और अधिक गंभीर स्थितियों में बदल सकता है और अन्य गंभीर रोगों का कारण बन सकता है। इसलिए, बवासीर के दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और उपचार के लिए समय रहते चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

bawaseer और भगन्दर में अन्तर (Difference between Piles and Fistula)

प्रमुख अंतर बवासीर (Piles) भगन्दर (Fistula)
कारण गुदा के आसपास की नसों में सूजन। एक गहरी नस के संक्रमण का परिणाम।
लक्षण – खून की निकासी। – खुजली। – दर्द। – गुदा के आसपास सूजन। – गुदा के ऊपरी हिस्से में सुरंग का निर्माण।
उपचार दवाइयाँ, आहार और जीवनशैली की परिवर्तन, और चिकित्सा या और्वचिकित्सा। क्षार सूत्र चिकित्सा, सर्जरी।

बवासीर और भगन्दर में विभिन्नता का सामान्य अंतर स्पष्ट होता है। बवासीर नसों की सूजन के कारण होता है, जबकि भगन्दर एक गहरी नस के संक्रमण के परिणामस्वरूप होता है। लक्षण भी दोनों समस्याओं में अलग होते हैं, जैसे कि बवासीर में खून की निकासी और खुजली हो सकती है, जबकि भगन्दर में सुरंग का निर्माण होता है। उपचार भी दोनों में अलग होते हैं, जैसे कि बवासीर के उपचार में दवाइयाँ, आहार और जीवनशैली की परिवर्तन, और चिकित्सा या और्वचिकित्सा हो सकती है, जबकि भगन्दर में क्षार सूत्र चिकित्सा या सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

बवासीर का इलाज

बवासीर (पाइल्स) का इलाज – Bawaseer ka Ilaj

Bawaseer ka Ilaj अनुकूल होना चाहिए और इसे समय पर शुरू किया जाना चाहिए ताकि यह समस्या बढ़ने से रोकी जा सके। बवासीर का उपचार निम्नलिखित प्रमुख पहलुओं पर आधारित हो सकता है:

  • सही आहार: बवासीर के इलाज में सही आहार बहुत महत्वपूर्ण है। उच्च फाइबर और पानी की खाने की अधिकता से पेट साफ रहता है और बवासीर की समस्या से बचाव होता है।
  • नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करना बवासीर के लिए फायदेमंद होता है। व्यायाम से शरीर की संवेदनशीलता बढ़ती है और पेट में दबाव कम होता है, जिससे बवासीर की समस्या में राहत मिलती है।
  • दवाइयाँ: डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयाँ लेना बवासीर के उपचार में महत्वपूर्ण होता है। एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवाइयाँ, पेनकिलर्स, और क्रीम्स बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
  • आयुर्वेदिक उपचार: कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ भी बवासीर के इलाज में उपयोगी हो सकती हैं। त्रिफला, इसबगोल, और आमला जैसी जड़ी-बूटियाँ पेट साफ रखने और बवासीर की समस्या में राहत प्रदान कर सकती हैं।
  • चिकित्सा प्रक्रियाएँ: गंभीर मामलों में, डॉक्टर द्वारा सलाह दी जा सकती है चिकित्सा प्रक्रियाएँ जैसे कि स्क्लेरोथेरेपी, बांदने, या ऑपरेशन। ये प्रक्रियाएँ बवासीर की समस्या को स्थायी रूप से समाधान कर सकती हैं।
  • संयोजन चिकित्सा: बवासीर के इलाज में विभिन्न उपचारों का संयोजन किया जा सकता है, जैसे कि आहार, व्यायाम, और दवाइयाँ। एक संयोजित चिकित्सा योजना बवासीर की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकती है।
  • स्वस्थ जीवनशैली: अधिक से अधिक पानी पिएं, समय पर खाना खाएं, नियमित व्यायाम करें, और धूम्रपान और शराब का सेवन कम करें। ये सभी स्वस्थ जीवनशैली के तत्व हैं जो बवासीर की समस्या को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

इन उपायों को समझकर व्यक्ति को बवासीर की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है और वह स्वस्थ जीवनशैली का अनुसरण करके इस समस्या से बच सकता है।

पाइल्स (Bawaseer) ka Ilaj में कौन-कौन सर्जरी होती है? – Piles(Bawaseer) Surgery in Hindi

पाइल्स या बवासीर के उपचार का एक विकल्प है सर्जरी। यह विकल्प वे मरीजों के लिए उपयुक्त होता है जिनके पास अन्य उपायों से लाभ नहीं होता है या उनकी स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी है। निम्नलिखित हैं पाइल्स की सर्जरी के कुछ मुख्य प्रकार:

सर्जरी का प्रकार विवरण
हेमोरॉयडेक्टोमी: इसमें बवासीर को हटाने के लिए ऑपरेशन किया जाता है, जो बवासीर के ग्रेड और स्थिति के अनुसार होता है।
स्क्लेरोथेरेपी: इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक साधारण दवाई को बवासीर में इंजेक्शन के रूप में डालते हैं, जिससे वे शिथिल हो जाते हैं और श्रिंक हो जाते हैं।
बड़े बवासीर के लिए अन्य सर्जरी: बड़े और गंभीर बवासीर के लिए अन्य सर्जरी विकल्प शामिल हो सकते हैं, जैसे कि रबर बैंड लिगेशन, पाइलेक्टोमी, और स्टेप्ल टेक्टोमी।
लेजर सर्जरी: इस प्रकार की सर्जरी में लेजर का उपयोग किया जाता है जो बवासीर को जलाकर हटाता है।
आईसीडी: आईसीडी या इंटरनल कैरोथेर्डरी के द्वारा बवासीर का उपचार किया जाता है, जिसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है बवासीर को श्रिंक करने के लिए।

बवासीर की लेजर सर्जरी कैसे की जाती है? – How did Piles laser surgery performed?

Bawaseer की लेजर सर्जरी एक उपचार है जो बवासीर के  Ilaj के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रक्रिया बवासीर को हटाने के लिए बड़े प्रभावी और आसान तरीके में से एक है। इस प्रक्रिया में, एक लेजर ऊर्जा ka उपयोग किया जाता है जो बवासीर के मस्से को जला देता है। यह ऊर्जा उन मांसपेशियों को निश्चित रूप से जला देती है जिनमें बवासीर के रक्तस्राव के कारण मस्से बन गए होते हैं।

बवासीर की लेजर सर्जरी का प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में किया जाता है:-

कदम विवरण
स्थानीय एनेस्थेटिक: रोगी को पहले स्थानीय एनेस्थेटिक दिया जाता है ताकि वह प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार के दर्द या असहनीयता का अनुभव न करें।
लेजर का उपयोग: डॉक्टर एक लेजर डिवाइस का उपयोग करते हुए बवासीर के मस्सों को हल्के से लेजर ऊर्जा से जलाते हैं। यह ऊर्जा मांसपेशियों को जलाकर उन्हें श्रिंक करती है और खोखला कर देती है।
स्थाईकरण: जले हुए क्षेत्र को स्थाईकृत करने के लिए डॉक्टर विशेष धागों का उपयोग करते हैं ताकि बवासीर के अतिरिक्त रक्तस्राव को बंद किया जा सके।
आवशेष संशोधन: प्रक्रिया के अंत में, डॉक्टर आवशेष मांसपेशियों को हटा सकते हैं जो बवासीर के इलाज के दौरान जले हुए हो सकते हैं।

बवासीर की ओपन सर्जरी कैसे की जाती है? – How did Piles Open surgery performed?

बवासीर की ओपन सर्जरी एक प्रकार का चिकित्सा उपचार है जिसमें बवासीर के मस्से को निकालने के लिए चीरा लगाया जाता है। यह उपचार वे मरीजों के लिए उपयुक्त होता है जिनके पास बड़े या गंभीर बवासीर के लिए अन्य उपचार सफल नहीं होते हैं। बवासीर की ओपन सर्जरी का प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में किया जाता है:-

कदम विवरण
स्थानीय एनेस्थेटिक: रोगी को पहले स्थानीय एनेस्थेटिक दिया जाता है ताकि वह प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार के दर्द या असहनीयता का अनुभव न करें।
चिरायत्रा: डॉक्टर चिकित्सा चीरा लगाते हैं और बवासीर के मस्से को बाहर निकालते हैं। यह सर्जरी बवासीर के ग्रेड और स्थिति के अनुसार की जाती है।
स्थाईकरण: सर्जरी के बाद, डॉक्टर विशेष धागों का उपयोग करते हैं ताकि प्रभावित क्षेत्र का निराकण किया जा सके और बवासीर के अतिरिक्त रक्तस्राव को बंद किया जा सके।
पोषण: रोगी को सर्जरी के बाद उपचार के लिए सही आहार और आराम का सुझाव दिया जाता है।

बवासीर की लेजर ऑपरेशन और ओपन सर्जरी में अंतर

प्रक्रिया बवासीर की लेजर ऑपरेशन बवासीर की ओपन सर्जरी
प्रक्रिया लेजर ऑपरेशन में, एक लेजर डिवाइस का उपयोग किया जाता है जो बवासीर के मस्से को जलाता है और हटा देता है। ओपन सर्जरी में, चिकित्सा चीरा लगाकर बवासीर के मस्से को निकाल दिया जाता है।
एनेस्थेटिक सामान्यत: स्थानीय एनेस्थेटिक का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर स्थानीय एनेस्थेटिक का उपयोग किया जाता है, लेकिन कई मामलों में सामान्य एनेस्थेटिक भी दिया जा सकता है।
रक्तस्राव लेजर ऑपरेशन में रक्तस्राव कम होता है। ओपन सर्जरी में रक्तस्राव का अधिक होता है।
आराम और संक्रमण की संभावना लेजर ऑपरेशन के बाद आराम की प्रक्रिया तेजी से होती है और संक्रमण की संभावना कम होती है। ओपन सर्जरी के बाद आराम की प्रक्रिया धीरे होती है और संक्रमण की संभावना अधिक होती है।

Bawaseer ka Ilaj के लिए घरेलू नुस्खे (Home Remedy for Piles (Hemorrhoids) Treatment)

  • केला और चूना से करें बवासीर का सफल इलाज: रात में एक केला लें और उसे बिच से फाड़ कर दो भाग कर लें। उसके बाद दोनों भाग पर चने के दाना के बराबर खाने वाला चुना लगा कर खुले आसमान के निचे शीत में रख दें और सुबह खाली पेट इसका सेवान करें। इसके एक महिने के सेवन से आपका पुराना से पुराना खुनी बवासीर या वादी बवासीर ठीक होता है।
  • दालचीनी का उपयोग: दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो मस्सों को कम करने में मदद कर सकते हैं। आप एक छोटी चम्मच दालचीनी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर रोजाना खा सकते हैं।
  • सेब का सिरका: सेब का सिरका बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। आप एक छोटी चम्मच सेब का सिरका को पानी के साथ मिलाकर पी सकते हैं, या इसे बारीकी से बवासीरी मास के ऊपर लगा सकते हैं।
  • नींबू और कथा से करें बवासीर का सफल इलाज: नींबू बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है और जलन और सूजन को कम करने में भी मदद कर सकता है। रात में एक नींबू लें और उसे बिच से फाड़ कर दो भाग कर लें। उसके बाद दोनों भाग पर एक-एक ग्राम पान में खाने वाला कथा लगा कर खुले आसमान के निचे शीत में रख दें और सुबह खाली पेट इसका सेवान करें। इससे भी पुराना खुनी बवासीर या वादी बवासीर ठीक होता है।
  • अल्सी का सेवन: अल्सी में फाइबर और औषधीय गुण होते हैं जो पाचन को सुधारते हैं और बवासीर के लक्षणों को कम कर सकते हैं। आप अल्सी को पानी में भिगोकर रोजाना सेवन कर सकते हैं या अल्सी का तेल बना कर लगा सकते हैं।

Bawaseer ka Ilaj आयुर्वेद में (Piles (Hemorrhoids) Treatment in ayurved )

बवासीर का इलाज आयुर्वेद में कई प्रकार से किया जा सकता है, जो प्राकृतिक और सुरक्षित होते हैं। यहाँ बवासीर के आयुर्वेदिक उपचार के कुछ मुख्य तरीके हैं:

  • त्रिफला: त्रिफला बवासीर के उपचार के लिए एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि है। इसमें तीन प्राकृतिक जड़ी बूटियां होती हैं – अमला, हरीतकी, और बिभीतकी।त्रिफला को रोजाना सेवन करने से पाचन बेहतर होता है और बवासीर के लक्षण कम होते हैं।
  • क्षार सूत्र: क्षार सूत्र एक प्राचीन आयुर्वेदिक उपचार है जो बवासीर के इलाज में प्रयोग किया जाता है। इसमें एक विशेष प्रकार का धातु सूत्र का उपयोग किया जाता है जो बवासीरी मास को काट देता है और उसे सुखाने में मदद करता है।
  • अर्श कल्प वटी: यह आयुर्वेदिक औषधि बवासीर के लक्षणों को कम करने और उसका इलाज करने में मदद कर सकती है। इसमें अनेक जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है जो पाचन को सुधारते हैं और मल त्याग को आसान बनाते हैं।
  • अमृतारिष्ट: यह आयुर्वेदिक औषधि बवासीर के लक्षणों को कम करने और उसका इलाज करने में मदद कर सकती है। इसमें अनेक जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है जो पाचन को सुधारते हैं और मल त्याग को आसान बनाते हैं।

बवासीर

बवासीर की बीमारी के दौरान आपका खान-पान  (Your Diet in Piles or Hemorrhoids)

बवासीर की बीमारी के दौरान खान-पान का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यहाँ कुछ आहार जो बवासीर के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं:

  • फल और सब्जियां: बवासीर के मरीजों को अधिकतम फल और सब्जियां खानी चाहिए, जैसे कि केला, सेब, संतरा, आम, अनार, गाजर, गोभी, पालक, तोरी, और लौकी। ये सभी फल और सब्जियां फाइबर से भरपूर होती हैं जो पाचन को सुधारता है और मल त्याग को आसान बनाती हैं।
  • पानी: बवासीर के मरीजों को रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए। पानी शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और पाचन को सुधारता है, जिससे बवासीर के लक्षण कम होते हैं।
  • फाइबर युक्त आहार: फाइबर युक्त आहार खाने से बवासीर के मरीजों को लाभ होता है। इसमें अनाज, दालें, सब्जियां, और फल शामिल होते हैं। फाइबर युक्त आहार पाचन को सुधारता है और कब्ज को दूर करता है।
  • मूली का रस: मूली का रस बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। आप रोजाना मूली का रस पी सकते हैं या इसे अन्य फलों और सब्जियों के साथ मिलाकर पी सकते हैं।

ये आहार बवासीर के मरीजों के लिए स्वस्थ और प्रभावी होते हैं। इन्हें नियमित रूप से अपनी डाइट में शामिल करने से बवासीर की समस्या में सुधार आ सकता है।

Bawaseer ka Ilaj के दौरान परहेज (Avoid These in Piles or Hemorrhoids)

Bawaseer ka Ilaj के दौरान कुछ चीजों से परहेज करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। ये चीजें निम्नलिखित हैं:

  • मसालेदार और तली हुई चीजें: बवासीर के मरीजों को मसालेदार और तली हुई चीजें खाना बंद कर देना चाहिए। इनमें तला हुआ भोजन, अधिक मसालेदार खाने, और तले हुए खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, जो पाचन को बिगाड़ते हैं।
  • अधिक चिंता या तनाव: चिंता और तनाव बवासीर के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं और इलाज को धीमा कर सकते हैं। इसलिए, बवासीर के मरीजों को चिंता और तनाव से दूर रहना चाहिए।
  • अधिक कॉफी या चाय: कॉफी और चाय में कैफीन की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, बवासीर के मरीजों को अधिक कॉफी और चाय की जगह पानी, फ्रेश फल जूस, या हर्बल टी पीनी चाहिए।
  • सिगरेट और शराब: सिगरेट और शराब का सेवन बवासीर के मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है। ये धूम्रपान और शराब की वजह से रक्त प्रवाह में असमंजसता होती है और बवासीर के लक्षण बढ़ सकते हैं।

इन चीजों से परहेज करके, बवासीर के मरीज अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं और इलाज की प्रक्रिया को सही दिशा में ले जा सकते हैं।

बवासीर की बीमारी के दौरान जीवनशैली (Your Lifestyle in Piles or Hemorrhoids)

बवासीर होने के दौरान जीवनशैली का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण टिप्स हैं जो बवासीर के मरीजों के लिए उपयोगी हो सकते हैं:

  • नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करना बवासीर के मरीजों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। योग, व्यायाम, और प्राकृतिक रूप से शारीरिक गतिविधियों में सक्रिय रहना पाचन को सुधारता है और बवासीर के लक्षणों को कम करता है।
  • समय पर खाना: नियमित खाना खाना और भोजन के समय का पालन करना बवासीर के मरीजों के लिए जरूरी है। अधिक समय तक भूखा रहना या भारी भोजन करना पाचन  को प्रभावित कर सकता है और बवासीर की समस्या को बढ़ा सकता है।
  • सही पोषण: सही पोषण का सेवन करना बवासीर के मरीजों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें फल, सब्जियां, अनाज, और फाइबर से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए जो पाचन को सुधारता है और कब्ज को दूर करता है।
  • नियमित चेकअप: बवासीर के मरीजों को नियमित चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यह सेहत की निगरानी में मदद करता है और समस्या के समय पर पहचान करने में मदद कर सकता है।

Bawaseer ka Ilaj में योग और प्रणायाम का महत्वः

बवासीर के लिए योग और प्राणायाम काफी फायदेमंद होते हैं। यहाँ कुछ योग आसन और प्राणायाम दिए जा रहे हैं जो बवासीर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं:

  1. वज्रासन: इस आसन को बैठकर किया जाता है और इससे पेट के अंदर की दिशा में दबाव कम होता है।
  2. सर्वांगासन: इस आसन को करने से पेट की मांसपेशियों में संवेदनशीलता बढ़ती है और बवासीर के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
  3. पश्चिमोत्तानासन: यह आसन पेट को मजबूत करने में मदद करता है और पेट के दबाव को कम करता है।
  4. भुजंगासन: यह आसन पेट की संक्रिया को बढ़ाता है और पेट की बवासीर से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
  5. त्रिकोणासन (Trikonasana): इस आसन में एक पैर को आगे और दूसरे को पीछे की ओर बढ़ाकर शरीर को सीधा रखें। इससे पेट की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और पाइल्स में राहत मिलती है।
  6. शवासन (Shavasana): यह आसन आंतरिक शांति और सुकून लाता है। इसके माध्यम से शरीर का आवश्यक विश्राम मिलता है, जिससे रक्तसंचार अच्छा होता है और बवासीर में लाभ होता है।
  7. कपालभाति प्राणायाम (Kapalabhati Pranayama): यह प्राणायाम पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और पाइल्स के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
  8. अनुलोम विलोम प्राणायाम: यह प्राणायाम पेट की मांसपेशियों को सजीव रखने में मदद करता है और पेट के दबाव को कम करता है।
  9. भ्रामरी प्राणायाम: इस प्राणायाम से ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिससे स्थिरता और शांति मिलती है, जो बवासीर की समस्या को कम कर सकती है।

Bawaseer ka Ilaj होम्योपैथी में (Piles or Hemorrhoids or bawaseer ka Homiopaith upchar)

होम्योपैथिक चिकित्सा में अनेक दवाओं का उपयोग किया जाता है, जिनमें से कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:

  • हामामेलिस: यह दवा खूनी बवासीर के लिए प्रभावी मानी जाती है।
  • सल्फर:यह दवा बवासीर के लिए उपयुक्त होती है, जो खुजली और जलन को कम करने में मदद करती है।
  • आर्निका: यह दवा बवासीर के मस्सों के लिए उपयुक्त होती है और दर्द को कम करने में मदद कर सकती है।
  • एलोवेरा जेल: यह खुजली और जलन को कम करने में मदद कर सकती है।

किसी भी तरह की दवा लेने से पहले चिकित्सक से सलाह जरुर लें।

बवासीर के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1: बवासीर ठीक करने का सबसे तेज तरीका क्या है?

A: केला और चूना का सेवन:- रात में एक केला लें और उसे बिच से फाड़ कर दो भाग कर लें। उसके बाद दोनों भाग पर चने के दाना के बराबर खाने वाला चुना लगा कर खुले आसमान के निचे शीत में रख दें और सुबह खाली पेट इसका सेवान करें। इसके एक महिने के सेवन से आपका पुराना से पुराना खुनी बवासीर या वादी बवासीर ठीक होता है।

Q2: 3 दिन में बवासीर कैसे ठीक करें?

A: तीन दिनों में बवासीर को ठीक करने के लिए नुकसानदायक खाने और पीने से बचें, परेशानी के संकेतों को नजरअंदाज़ न करें, और डॉक्टर से सलाह लें।

Q3: बवासीर जड़ से खत्म कैसे होता?

A: केला और चूना का प्रयोग या फिर नींबू और कथा का प्रयोग करने से बवासीर ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।

Q4: Bawaseer ka  पक्का Ilaj कौन सा है?

A: बवासीर का पक्का इलाज चिकित्सक द्वारा निर्धारित उपचार और दवाओं का सही समय पर उपयोग करना होता है।

Q5: बवासीर में सुबह खाली पेट क्या खाएं?

A: बवासीर में सुबह खाली पेट मुली का रस पीना बहुत उपयोगी होता है।

Q6: क्या खाने से बवासीर ठीक हो जाता है?

A: नींबू और कथा का सेवन:- नींबू बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है और जलन और सूजन को कम करने में भी मदद कर सकता है। रात में एक नींबू लें और उसे बिच से फाड़ कर दो भाग कर लें। उसके बाद दोनों भाग पर एक-एक ग्राम पान में खाने वाला कथा लगा कर खुले आसमान के निचे शीत में रख दें और सुबह खाली पेट इसका सेवान करें। इससे भी पुराना खुनी बवासीर या वादी बवासीर ठीक होता है। यह बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज है।

Q7: बवासीर के मस्से सुखाने के लिए क्या खाएं?

A: बवासीर के मस्से सुखाने के लिए फाइबर युक्त आहार, पर्याप्त पानी पीना, और ताज़ा फल सेवन करें।

Q8: बवासीर में पेट साफ कैसे करें?

A: बवासीर में पेट साफ करने के लिए अधिक पानी पिएं, फाइबर युक्त आहार लें, और नियमित व्यायाम करें।

Q9: बवासीर में दूध पी सकते हैं क्या?

A: बवासीर में दूध पीने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें, क्योंकि कुछ लोगों को दूध से एलर्जी होती है और यह समस्या बिगड़ सकती है।

यदि आपको Bawaseer के बारे में कोई समस्या है या आपको इसका सही उपचार चाहिए, तो अपने चिकित्सक से परामर्श करें। समय रहते Ilaj कराना बेहद महत्वपूर्ण है ताकि समस्या और बढ़ने से पहले ही निपटा जा सके।

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